ह्रदय व्याकुल हो गया और बरबस ही आँखें डबडबा गयीं । उनकी यादों ने अचानक ही जैसे मुझे घेर लिया और एक पल के लिए मुझे विश्वाश ही न हुआ कि ऐसा भी हुआ होगा... प्रिय जन की मृत्यु का इतना संताप हुआ मुझे और फ़िर कुछ सोचने सा लगा मैं ...
गीता कहती है कि ,
इन ज्ञान की बातों को सुन कर भी किसी के सदा के लिए चले जाने का जो दुःख आदमी अनुभव करता है वो अकथ्य है।
मुझे याद है जब पहली बार मुझे ये अहसास हुआ था कि कोई मरने वाले फ़िर वापस नही आते। जब मैंने एक दुर्घटना में अपना अति प्रिये पालतू कुत्ता खो दिया था और फ़िर मैं बहोत रोया था , बहोत चिल्लाया था पर वो तो जा चुका था कभी वापस न आने को । सच में मैं जितना उस बार ठगा सा था इस जीवन की पहेली में उतना उसके बाद कभी फ़िर से न हुआ, जब कभी भी मेरे और भी किसी प्रिये जन का निधन हुआ । मुझे लगा कि ऐसे ही एक दिन मैं भी गुजर जाऊंगा । प्रेम किसी समय कितना असहाय होता है...।
"दिल ही तो है न संगो खिश्त रोये न जार जार क्यूँ..."
एक बार जब मैं अपने एक सम्बन्धी को कन्धा दे कर समशान गया तो उस घाट पे मुझे लगा कि जैसे मैं 'गौतम बुध' हो गया। जीवन का सार मेरे सामने था , इस भागमभाग का अंत मेरे सामने कि चिता में धू धू कर जल रहा था ...गंगा किनारे मेरी वो शाम अपने आप में चिर-स्मरणीय है ।"मृत्यु एक सरिता है जिसमे श्रम से कातर जीव नहा कर,
फ़िर नूतन धारण करता है काया रूपी वस्त्र बहा कर ..."
आज भी मैं जब भी कभी किसी समाचार में सुनता हूँ कि इतने लोग फलां वजह से इस दुनिया में नही रहे तो मन कचोट उठता है कि इस में उनका क्या दोष था... जीवन में मृत्यु का अनुभव इतना कष्टकर क्यूँ है?सोचता हूँ की हमारी ये प्रार्थना कब साकार होगी ?
"सर्वे भवन्तु सुखिनः , सर्वे सन्तु निरामया ,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद दुःख भाग भवेत् .."
5 comments:
aapke dukh me ham bhi shamil hain
It happens my dear friend ,everybody reads Geetta but never recollects in need,Its top stage of life to feel equally good in win or defeat.
A man only is not dead,there are so many memories ,love ,affection are associated with it.One can not share yr grief but we can pray to God foe yr loving Nana ji.May God give him peace.
He is with you in shapeless form of his memories.
With care
Dr.Bhoopendra
आपके ह्रदय स्पर्शी टिपण्णी के लिए धन्यवाद् भूपेंद्र जी !
आपने सच कहा की गीता की असली समझ हमें जीवन के विविध अनुभवों में प्रयोग करने होंगे.
अशोक जी आपकी आत्मीय टिपण्णी और प्रेम भाव का शुक्रिया .
जीवन सुख दुख की छाया है। हिम्मत लगन और विश्वास की सदा जीत होती है। आपने अच्छा लिखा मेरे ब्लोग पर आने की जहमत उठाए। आपका स्वागत है
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