"मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिए चाँद उफक तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो रात किनारे के करीब
न अभी अन्धेरा हो , न उजाला हो , न रात न दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को साँस आए ..."
और फिर मैंने सोचा की क्या मुझसे भी किसी का वादा है...? या मेरा किसी से कोई वादा है?
है भी शायद...
गहन सघन मनमोहक वन तरु मुझको आज बुलाते हैं,
किन्तु किये जो वादे मैंने याद मुझे वो आते हैं,
अभी कहाँ आराम बड़ा यह मूक निमंत्रण छलना हैं,
अरे अभी तो मीलों मुझको , मीलों मुझको चलना ।
-हरिवंश राय बच्चन द्वारा अनुदित
“ The woods are lovely, dark and deep,
But I have promises to keep,
and miles to go before I sleep ,
and miles to go before I sleep ,
and miles to go before I sleep”
- Robert Frost
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