समन्दर की वो लहरें जो हमें छूती हैं किनारों पे और फ़िर वापस चली जाती हैं ... और फ़िर वापस आती हैं नटखट सी...कुछ कहती हैं!
वो कहती हैं की जीवन भी इन्ही समंदर की मौजों के माफिक है... उसे वक्त रहते महसूस करो और जियो उस पल पुरी मौजूदगी में...
वक्त कभी अच्छा भी होता है और कभी बुरा भी... पर होता वही है जो हमने कभी चाहत की थी.. जाने अनजाने जैसे भी...
हमरी जो बोर्डोम है वो हमारी दिमागी वजहों से है... सच्चे साफ दिल से अगर गौर करें तो एक साफ तस्वीर आती है सामने उसी जिन्दगी की, उसी वक्त जहाँ हम होते हैं.
इसीलिए कहते हैं की यारों का वो साथ मत भूलो जब तुम कभी खुश थे अपने दिल के करीब थे.
उन पलों की याद करो जो तुम्हारे चेहरे पे एक मुस्कान लाए...
"निनैथ निनैथ पार्थएन..."एक तमिल गीत याद आता है और जीवन के पलों की कीमत समझ आती है...
:)
Sunday, January 6, 2008
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- smilekapoor
- Hi, I'm a simple man who wants to be friend with nature and all around. I welcome you to be in tune with yourself only...keep smiling! :)
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