Sunday, September 25, 2011

काँटों की चुभन पायी फूलों का मज़ा भी ...

"काटों की चुभन पाई फूलों का मज़ा भी ;








फिर से आज २५ तारीक आई और मुझे चित्रा सिंह जी की ये बेशकीमती ग़ज़ल याद हो आई...

जिंदगी में कई लम्हे ऐशे होते हैं जो आपमें जैसे रच बस जाते हैं... आप कहीं रहो वो बिलकुल ताज़ी होती हैं...उन्ही यादों की खुशबुओं और अहसास को लिए दिल गता गुनगुनाता है और जीते रहने की तमन्ना रखे रहता है... मुझे ग़ज़लें सुनने का शौक रहा है और जगजीत सिंह - चित्रा सिंह हमेशा प्यारे रहे ।

गज़लें मेरी जिंदगी की कुछ उदाश तनहा शामों में मेरे पास रही हैं...मुझसे रूबरू रहती हैं ; और खुशियों के पलों में भी वो बहार लाती हैं ।

मेरी जिंदगी में भी ऐशे ही कुछ बेशकीमती पल रहे हैं...जो मुझे बार बार जीने की आशा देती है...


बहरहाल, कल मैं फिर से 'The Art of Living' गया था ...और इस बार लगभग पूरा आश्रम घूमा । फिर वापसी में 'People for Animals' Bangaluru भी गया । वहां जब मैं 'पेट सेमेट्री' गया तो बर्बश ही मुझे अपने 'जोनी' (पालतू कुत्ता) की याद आ गयी। उसकी एक दुर्घटना में मौत हुए बोहोत बरस हुए पर वो आज भी याद आता है। 'Dogs leave paw prints forever on your heart'
ख़ैर... फिर मिलेंगे ।




शब्बा ख़ैर !

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